“WHO रिपोर्ट: वैश्विक हैजा के मामले मई 2025 में 52,589 पहुँचे”

जिनेवा/नई दिल्ली, 24 जून 2025 — विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आज अपनी ताज़ा चोलेरा और एक्यूट वाटरी डायरिया स्थिति रिपोर्ट #27 जारी की, जिसमें मई 2025 में दुनिया भर में 52,589 नए हैजा और पानी से फैलने वाले डायरिया के रोगी दर्ज हुए। यह अप्रैल की तुलना में 35% की बढ़ोतरी दर्शाता है और 17 देशों में फैलाव हुआ है।


मुख्य तथ्य

  • कुल नए मामले: 52,589 (अप्रैल की तुलना में +35%)

  • मृत्यु दर: 552 (4% कमी, लेकिन गंभीर बनी हुई)

  • मुख्य प्रभावित क्षेत्र:

    • अफ्रीका: DR कांगो, नाइजर, सोमालिया

    • दक्षिण एशिया: बांग्लादेश, म्यांमार

    • मध्य पूर्व: यमन


कारण एवं चुनौतियाँ

  1. स्वच्छ पानी की कमी: बरसात के मौसम में जल-स्रोत दूषित होने से लोग दूषित जल पीने को मजबूर।

  2. स्वास्थ्य अवसंरचना की कमी: कई ग्रामीण और स्लम इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अधूरे या ऊर्जाहीन।

  3. लॉजिस्टिक्स समस्याएँ: ओआरएस किट (oral rehydration salts) व वैक्सीन की आपूर्ति में देरी से समय पर रोकथाम मुश्किल।


WHO की सिफ़ारिशें

  • त्वरित आपूर्ति: प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत ORS, ज़िंक टैबलेट और फ्लूइड पैकेट्स पहुँचाएँ।

  • टीकाकरण अभियान: OCV (oral cholera vaccine) द्वितीय खुराक तक सबको पहुँचाना अनिवार्य।

  • साफ़-सफाई जागरूकता: स्थानीय स्वयंसेवकों के माध्यम से जल-शुद्धिकरण, हैंडवाशिंग और बायो-सैनिटेशन की ट्रेनिंग।


भारत की स्थिति

  • मई 2025 में भारत में हैजा के 1,243 नए मामले दर्ज हुए, जिनमें से 18 मौतें हुईं।

  • मुख्य केंद्र: बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश के नदी तटवर्ती जिलों में बढ़ी जाँच-आधारित रिपोर्टिंग।

  • केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मोबाइल जल-शुद्धिकरण वैनें तैनात कर रही हैं, साथ ही स्थानीय स्वास्थ्य वर्करों को ORS पैकेट वितरित किए जा रहे हैं।


आगे की रणनीति

  1. समन्वित स्क्रीनिंग: नदी किनारे बसे 200० गाँवों में फील्ड क्लीनिक स्थापित।

  2. डेटा मॉनिटरिंग प्लेटफ़ॉर्म: रियल-टाइम केस-ट्रैकिंग और अलर्ट सिस्टम शीघ्र शुरुआत।

  3. अनुसंधान सहयोग: ICMR और WHO की संयुक्त टीम जलजनित रोगों पर नवीन टिकाकरण अनुसंधान तेज़ करेगी।


इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि बेहतर निगरानी, त्वरित वैक्सीन तैनाती और साफ़-सफ़ाई के ठोस कदम ही वैश्विक हैजा संकट को नियंत्रित कर सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून-पूर्व तैयारी और सामुदायिक सहभागिता से लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं।

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